गुरु का जीवन में महत्व
गुरू महिमा
एक भंवरा हर रोज एक फूलो के बाग मे जाता है
और जिस जगह से वो गुजरता है, वहा एक गंदा नाला होता है
और उस नाले मे एक कीड़ा रहता है
वो भंवरा रोज उस नाले के ऊपर से होकर जाता है !
वो भंवरा रोज उस नाले के ऊपर से होकर जाता है !
एक दिन उस
भंवरे की नजर उस गंदी नाले के कीड़े पर
पड़ती है और
कीड़े को देखकर उस भंवरे को
दया आ जाती है !
वो भंवरा सोचता है कि ये कीड़ा कैसे इस नाले मे रहता है और भंवरा कीड़े के पास जाकर उससे पूछता है?
कि तुम कैसे यहा रहते हो इस गंदगी मे, तो इस पर कीड़ा कहता है कि ये मेरा घर है, भंवरा कीड़े को समझाता है कि तुम मेरे साथ चलो मै तुम्हे जन्नत की सैर करवाऊंगा !
वो भंवरा सोचता है कि ये कीड़ा कैसे इस नाले मे रहता है और भंवरा कीड़े के पास जाकर उससे पूछता है?
कि तुम कैसे यहा रहते हो इस गंदगी मे, तो इस पर कीड़ा कहता है कि ये मेरा घर है, भंवरा कीड़े को समझाता है कि तुम मेरे साथ चलो मै तुम्हे जन्नत की सैर करवाऊंगा !
तो कीड़ा कहता है मै नही जाऊँगा यही मेरी जन्नत है, भंवरा कहता है
तुम मेरे साथ चलो तो सही, मुझसे दोस्ती करो तो सही, भंवरे की बात सुनकर कीड़ा दोस्ती का हाथ आगे बढाता
हे ओर चलने के लिए तैयार हो जाता है, फिर भंवरा उसे कहता है की
मै कल आऊँगा और तुम्हे अपने साथ ले जाऊँगा!
अगले दिन सुबह जब भंवरा फूलो के बाग मे जाने लगता है तो वो पहले उस कीड़े को लेने के लिए जाता है, और उस कीड़े को भंवरा अपने कंधे पर बैठाकर फूलो के बाग मे ले जाता है, फिर भंवरा उस कीड़े को एक फूल पर बैठाकर खुद फूलो का रस चखने लग जाता है!
अगले दिन सुबह जब भंवरा फूलो के बाग मे जाने लगता है तो वो पहले उस कीड़े को लेने के लिए जाता है, और उस कीड़े को भंवरा अपने कंधे पर बैठाकर फूलो के बाग मे ले जाता है, फिर भंवरा उस कीड़े को एक फूल पर बैठाकर खुद फूलो का रस चखने लग जाता है!
अब पूरे दिन के बाद भंवरे का लोटने का समय हो गया और वो उस कीड़े को वही भूल कर चला गया, जिस फूल पर भंवरे ने कीड़े को बैठाया था वो सांझ के समय बंद हो जाता है, वो कीड़ा उसी फूल मे बंद हो गया, अगले दिन सुबह जब माला बनाने के लिए फूलो को तोड़ा गया तो उस फूल को भी तोड़ा गया जिसमे वो कीड़ा था!
उन फूलो की
माला बनाकर वो
माला बिहारी जी
के मंदिर भेज दि गई, उस
माला मे वो
फूल भी था
जिसमे वो कीड़ा था, और वही माला बिहारी जी
के गले मे
पहना
दि गई !
फिर पूरे दिन के बाद वही माला यमुना जी
मे प्रवाहित कर
दि गईऔर
वो कीड़ा सब
देख रहा है, कीड़ा कहता है
कि वाह रे
भंवरे तेरी दोस्ती, कहा मै उस
गंदी नाली का
कीड़ा था और तेरी दोस्ती ने
मुझे कहा पहुँचा दिया !
बिहारी जी के गले से
होकर कहा मै
यमुना जी मे
गोते खाता जा
रहा हूँ, वो
कीड़ा उस भंवरे की दोस्ती को
याद करता हुआ बस यमुना जी
मे गोते खाता जा रहा है !
ओर अब ये भंवरा कोन है ?
ये भंवरा ही है हमारे सद्गुरु, और वो कीड़ा है हम सभी!
इसलिए सदगुरु का हाथ पकड़कर चलो
किसी के पैर पकड़ने की नौबत नही आएगी।।
किसी के पैर पकड़ने की नौबत नही आएगी।।
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