ऐसा बालक जिसे जीवन रहते हुए यमराज से ज्ञान प्राप्त किया।

नचिकेता के पिता जब विश्वजीत यज्ञ के बाद जीवन-भर पाली गयी गायों को ब्राह्मणों को दान में देने लगे तो नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि आप मुझे दान में किसे देंगे? उस समय नचिकेता के पिता यज्ञोपरान्त ब्राह्मणो और संतो की सेवा में लगे हुए थे। नचिकेता के द्वारा यह प्रश्न पिता से बार बार किया गया जिससे नचिकेता के पिता क्रोध से भरकर बोले कि मैं तुम्हें मृत्यु को दान में देता हूँ। नचिकेता ने पिता के वाक्य को सत्य करने के लिए मृत्यु को अपना स्वामी स्वीकार किया और मृत्यु के घर शमशान की ओर प्रस्थान किया। शमशान पहुँच कर मृत्यु को ढूंढने लगे तभी कही से यमदूत ने नचिकेता के समक्ष आकर पूछा की बालक तुम क्या ढूंढ रहे हो। यमदूत के पूछने पर नचिकेता ने कहा की मुझे मृत्यु से मिलना है, मेरे पिताजी ने मुझे मृत्यु को दान में दिया है। ऐसा कहकर नचिकेता ने यमदूत से पूछा की आप कौन है। बालक के पूछे जाने पर यमदूत ने कहा मैं यमराज का दूत हूँ। यमराज मेरे राजा है, तब नचिकेता ने यमदूत से कहा की आप यमराज से कहिये की मैं उन से मिलने आया हूँ। बालक के बात सुनकर यमदूत ने कहा की यमराज अभी अपने महल में नहीं है। वे किसी आवश