भगवान श्री गणेश जी प्रथम पूज्य क्यों है ? (God Ganesh)

प्राचीन काल की बात है - नैमिषारण्य क्षेत्र में ऋषि-महर्षि साधु-संतों का समाज जुड़ा था। उसमें श्रीसूतजी भी विद्यमान थे। शौनक जी ने उनकी सेवा में उपस्थित होकर निवेदन किया कि "हे अज्ञान रूप घोर तिमिर को नष्ट करने में करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमान श्रीसूतजी ! हमारे कानों के लिए अमृत के समान जीवन प्रदान करने वाले कथा तत्व का वर्णन कीजिये। हे सूतजी ! हमारे हृदयों में ज्ञान के प्रकाश की वृद्धि तथा भक्ति, वैराग्य और विवेक की उत्पत्ति जिस कथा से हो सकती हो, वह हमारे प्रति कहने कि कृपा करें।" शौनक जी की जिज्ञासा से सूतजी बड़े प्रसन्न हुए। पुरातन इतिहासों के स्मरण से उनका शरीर पुलकायमान हो रहा था। वे कुछ देर उसी स्थिति में विराजमान रहकर कुछ विचार करते रहे और अंत में बोले - "शौनक जी ! इस विषय में आपके चित में बड़ी जिज्ञासा है। आप धन्य हैं जो सदैव ज्ञान की प्राप्ति में तत्पर रहते हुए विभिन्न पुराण-कथाओं की जिज्ञासा रखते हैं। आज मैं आपको ज्ञान के परम स्तोत्र श्री गणेश जी का जन्म-कर्म रूप चरित्र सुनाऊँगा। गणेशजी से ही सभी ज्ञानों, सभी विद्याओं का उदभव हुआ है। अब आप सावधान च