प्राचीन हिन्दू रीतिरिवाज़ों के पीछे का विज्ञान

संपूर्ण ब्रह्माण्ड कुछ विज्ञान के नियमों के अनुसार चलता है। आज हम मानवों के साथ यही समस्या है। हमारे दुःख प्रकृति के द्वारा निर्धारित वैज्ञानिक कानूनों का पालन करने में हमारी असमर्थता के कारण हैं। हिन्दू धर्म दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है जो पूरी तरह से प्रकृति के वैज्ञानिक नियमों पर आधारित है, इसी कारण विज्ञान और धर्म के बीच कभी कोई विवाद नहीं था। हालाँकि हमें इस बात की गलत समझ है कि हिन्दुवाद अवैज्ञानिक और अन्धविश्वास से परिपूर्ण है। यह अनुचित विचार हिन्दुओं में पश्चिम से आये लोगों के द्वारा डाला गया था क्योंकि वे एक ऐसे धर्म को समझने की कोशिश में थे जो उन्हें भगवान, प्रकृति और मानव के बारे में उनकी मानक धारणाओं से बिलकुल अलग लगा था। प्राचीन भारत के ऋषिओं को पता था कि भगवान, प्रकृति और मानव तीनों में कही भी कोई पृथकता(अलग) है ही नहीं, जैसा कि यहूदियों में माना जाता था। सनातम धर्म के नाम से जाना जाने वाला आज का हिन्दू धर्म जिसे ऋषिओं ने हमें दिया था, पूरी तरह से वैज्ञानिक मान्यताओं पर आधारित है। हमारे ऋषि धर्म का प्रचार नहीं करते थे बल्कि जीवन जीने के एक ऐसे तरीके का