दर्शन के बाद मंदिर की सीढ़ियों पर बैठने की परम्परा क्यों हैं।

हमारे समाज में बहुत से ऐसे रीती-रिवाज़ है जिन्हे हम सभी ने अपने जीवन में देखा है, ऐसा ही एक रिवाज़ है मंदिर से निकलते समय मदिर की पेड़ी या सीढ़ी पर बैठना । आइये जानते है की इसके पीछे क्या कारन है। आपने बड़े बुजुर्ग को कहते और करते देखा होगा कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाते है तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई थी। वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस श्लोक को पढ़े और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताए । यह श्लोक इस प्रकार है - अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्। देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।। इस श्लोक का अर्थ है "अनायासेन मरणम्" अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर ना पड़े, कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाए । "बि